लेखनी प्रतियोगिता -28-Mar-2022नाराज़
नाराज़ जिंदगी
नाराज़ जिंदगी को मनाती रही।
रूठे को सदा मनाती रही।
चेहरे पर रोज चेहरे लगाती रही,
चाहतों से अपनी मनाती रही।
इच्छाओं को अपनी मारती रही
जिंदगी उसके ढंग से मनाती रही।
खुशियां रास ना आए जिंदगी बता
ख्वाबों को अपने मनाती रही।
हमदर्द आंसुओं को सजाती रही
रूठा है हर समय वह मनाती रही।
करती थी प्यार बे इंतहान उसे।
शाख से टूट फिर भी मनाती रही।।
समझा ना कभी मजबूरियों को मेरी।
प्यार से उसे हरदम मनाती रही।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
28.3.२०२२
प्रतियोगिता हेतु
Abhinav ji
29-Mar-2022 08:12 AM
Very nice👍
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Punam verma
29-Mar-2022 07:37 AM
Very nice
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Gunjan Kamal
29-Mar-2022 07:25 AM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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